द न्‍यूज गली, ग्रेटर नोएडा: बिल्‍डरों के द्वारा प्रोजेक्‍ट के निर्माण में अवैध रूप से भूजल दोहन के मामले की चल सुनवाई में एनजीटी ने 20 बिल्‍डरों के खिलाफ बड़ा आदेश दिया है। कहा है कि बिल्‍डर यह बताएं यदि उन्‍होंने अवैध भूजल का दोहन नहीं किया है तो प्रोजेक्‍ट तैयार करने में पानी कहां से लिया। यदि पानी खरीदा है तो उसका बिल भी मांगा गया है। बिल्‍डरों को 2 सप्‍ताह में अपनी रिपोर्ट प्राधिकरण में देनी होगी। रिपोर्ट को प्राधिकरण एनजीटी में देगा। एनजीटी के आदेश से बिल्‍डरों के माथे पर बल पड़ गया है। आदेश के बाद बिल्‍डर प्रबंधन माथापच्‍ची करने में जुट गए हैं।

यह था मामला
ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट में चल रहे बिल्‍डर प्रोजेक्‍ट में अवैध रूप से भूजल का दोहन किया जा रहा था। पर्यावरण कार्यकर्ता प्रदीप डाहलिया और प्रसून पंत ने मामले में एनजीटी में 61 बिल्‍डर परियोजना के खिलाफ याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई पिछले लंबे समय से चल रही है। पूर्व में बिल्‍डरों के प्रोजेक्‍टों पर 306 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लग चुका है। कई बिल्‍डरों ने न्‍यायालय को बताया था कि उनके द्वारा भूजल का दोहन नहीं किया गया है। जिला कमेटी ने 20 बिल्‍डरों की सूची एनजीटी में देकर बताया था कि इनके द्वारा भूजल का दोहन नहीं किया गया। इसमें स्‍टेलर जीवन, पैरामाउंट इमोशंस, ट्राइडेंट एंबेसी, इकोविलेज-1, अरिहंत आर्डेन, चेरी काउंटी, निराला एस्‍टेट, इरोस सहित अन्‍य बिल्‍डर प्रोजेक्‍ट हैं। चल रही सुनवाई में अब न्‍यायालय ने 20 बिल्‍डरों को आदेश दिया है कि वह बताएं यदि भूजल का दोहन नहीं किया है तो पानी कहां से लिया। मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।