
-नाम के ही स्मार्ट विलेज बने हैं गांव
-ग्रामीणों का कहना स्मार्ट विलेज बनने के बाद भी नहीं बदली सूरत
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: स्मार्ट विलेज, यह नाम सुनने में ही अच्छा लगता है। यदि कोई यक्ति स्मार्ट विलेज की कहीकत देख ले तो दांतों तले अंगुली दबाने को विवश हो सकता है। जिसका दंश ग्रामीण आए दिन झेलने को विवश हैं। वर्षों पूर्व स्मार्ट विलेज की घोषण के साथ ग्रामीणों को हसीन सपने दिखाए गए थे, ग्रामीणों का कहना है कि उसका नाम मात्र भी नसीब नहीं हुआ। आलम यह है कि स्मार्ट विलेज में सफाई, स्ट्रीट लाइट, रोड़ सहित अन्य चीजों का आभाव है। सवाल है स्मार्ट विलेज के नाम पर प्रतिवर्ष आने वाला करोड़ों का बजट कहां जा रहा है।
यह हैं स्मार्ट विलेज
प्राधिकरण ने वर्षों पूर्व विभिन्न गांवों को स्मार्ट विलेज घोषित किया था। इसमें सादुल्लापुर, मायचा, लड़पुरा, घरबरा, सिरसा सहित अन्य गांव शामिल थे। दावा किया गया था कि जल्द ही इन गांवों की सूरत बदल जाएगी। गांव की गलियों में दूधिया रोशनी होगी। सभी सड़कों को पक्का कर दिया जाएगा। पक्की नालियां बनाई जाएंगी, नियमित सफाई होगी, घर-घर से प्रतिदिन कूड़ा उठेगा वगैरह-वगैरह। जिसका सपना ग्रामीण आज भी देख रहे हैं। सादुल्ला गांव की एक फोटो सोशल मीडि़या पर वायरल हो रही है। जिसमें गांव की एक गली में भरे गंदे पानी के बीच से छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने को विवश हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति अन्य स्मार्ट विलेज गांवों की है। ग्रामीणों को स्मार्ट विलेज का सपना पूरा होने का आज भी इंतजार है।