द न्यूज गली, नोएडा : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शिशु रोग उपचार में अब नई क्रांति आने जा रही है। नोएडा स्थित चाइल्ड पीजीआई में सितंबर माह से नवजात शिशुओं के लिए अत्याधुनिक स्क्रीनिंग प्रयोगशाला (लैब) का शुभारंभ किया जाएगा। यह लैब इस क्षेत्र की पहली ऐसी सुविधा होगी, जहां जन्म के तुरंत बाद शिशुओं में गंभीर रोगों की पहचान मात्र एक रक्त की बूंद से की जा सकेगी।

नहीं लगानी पड़ेगी दौड़
लखनऊ के एसजीपीजीआई तथा दिल्ली स्थित एम्स जैसे बड़े चिकित्सा संस्थानों में अब माता-पिता को अपने नवजात शिशुओं के उपचार हेतु दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। नोएडा, गाज़ियाबाद, हापुड़ सहित समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासी अब स्थानीय स्तर पर ही उच्च स्तरीय जांच सुविधा का लाभ ले सकेंगे।

डॉ. ऊषा बिंदल विभागाध्यक्ष, जैव-रसायन विभाग (बायो-कैमिस्ट्री) चाइल्ड पीजीआई ने बताया कि यह स्क्रीनिंग लैब नवजातों में थायरॉइड की कमी, ग्रोथ हार्मोन की समस्या, वजन में कमी, मूत्र में गंध (फिनाइलकेटोनुरिया) जैसी गंभीर अनुवांशिक बीमारियों की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान करने में सक्षम होगी।

उन्होंने बताया कि नवजातों की एड़ी से ली गई खून की एक छोटी सी बूंद से अधिकतम छह घंटे के भीतर इन रोगों का पता लगाया जा सकेगा। इससे बच्चों का शीघ्र इलाज आरंभ कर उनकी जान बचाना संभव हो पाएगा।

लखनऊ के बाद पहली सुविधा, अब होगी व्यापक पहुँच
अब तक लखनऊ के अलावा राज्य के अन्य भागों में ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं थी, जिसके कारण ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों के परिवारों को समय, धन और मानसिक तनाव झेलना पड़ता था। इस नई लैब से क्षेत्रीय अस्पतालों में नवजात स्क्रीनिंग की सुविधा सरलता से उपलब्ध हो सकेगी।

60 से 80 लाख रुपये की लागत से बनेगी अत्याधुनिक मशीन
प्रबंधन से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह आधुनिक जांच मशीन लगभग 60 से 80 लाख रुपये की लागत से स्थापित की जा रही है। एक माह के भीतर विशेषज्ञों की सहायता से मशीन को इंस्टॉल कर लिया जाएगा और मरीजों हेतु सेवाएं आरंभ कर दी जाएंगी।

इस पहल से न केवल शिशुओं के जीवन की रक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि क्षेत्रीय स्वास्थ्य व्यवस्था को भी सुदृढ़ता प्राप्त होगी। जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध हो सकता है।