-फिनाले में देशभर से 120 प्रतिभागी लेंगे हिस्सा
-8 से 12 दिसंबर तक होगा फिनाले का आयोजन
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: शिक्षा मंत्रालय की इनोवेशन सेल और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआईएच) का ग्रैंड फिनाले 8 दिसंबर से होगा। एसआईएच 2025 के हार्डवेयर संस्करण की मेजबानी गलगोटिया विश्वविद्यालय को सौंपी गई है। प्रतियोगिता में देश के विभिन्न राज्यों से टीम आ रही है।
टीम के द्वारा शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक कल्याण मंत्रालय और आयुष मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत वास्तविक चुनौतियों पर देशभर की टीमें पांच दिनों तक लगातार कार्य करेंगी। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित अनेक राज्यों से टीमें गलगोटिया विश्वविद्यालय पहुँच रही हैं। कुल 120 प्रतिभागियों में 77 पुरुष, 43 महिला छात्राएँ और 25 मेंटर्स शामिल हैं, जो प्रोटोटाइप निर्माण और समाधान विकास पर केंद्रित कार्य करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रे़स में एसआईएच की नोडल अधिकारी डॉ. मीनाक्षी शर्मा और प्रो वाइस चांसलर प्रो. अवधेश ने विश्वविद्यालय की तैयारियों, तकनीकी संसाधनों और आयोजन से छात्रों को मिलने वाले अवसरों की विस्तृत जानकारी साझा की।

युवा प्रतिभा का दिखेगा हुनर
गलगोटिया विश्वविद्यालय के चांसलर सुनील गलगोटिया ने कहा कि जब युवा दिमांग सरकार की वास्तविक समस्याओं पर काम करते हैं, तभी तकनीक का वास्तविक प्रभाव समाज तक पहुँचता है। उन्होंने इसे तकनीक आधारित सामाजिक परिवर्तन का महत्वपूर्ण अवसर बताया। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रो. टीजी सीताराम ने कहा कि स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन जैसी पहलें न केवल युवा प्रतिभाओं को दिशा देती हैं, बल्कि मंत्रालयों और उद्योगों के लिए व्यवहारिक और प्रभावी समाधान उपलब्ध कराती हैं। उन्होंने कहा कि गलगोटिया विश्वविद्यालय जैसे संस्थान इस राष्ट्रीय नवाचार अभियान को मज़बूती देते हैं और देश की तकनीक-आधारित विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
गलगोटिया विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने कहा कि नोडल सेंटर के रूप में चयन विश्वविद्यालय की नवाचार-उन्मुख पहचान को और सुदृढ़ करता है। उन्होंने कहा गलगोटिया विश्वविद्यालय अनुसंधान, नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को निरंतर बढ़ावा देता आया है। एसआईएच 2025 छात्रों को न केवल समाधान विकसित करने का अवसर देता है, बल्कि उन्हें राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में प्रत्यक्ष योगदान देने का मंच भी प्रदान करता है।

