– गलगोटियास विश्वविद्यालय में चल रही विक्रम साराभाई अंतरिक्ष प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे वाटरमैन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर, डॉ. राजेंद्र सिंह
द न्यूज़ गली, ग्रेटर नोएडा : गलगोटिया विश्वविद्यालय में चल रही प्रदर्शनी में उन्होंने कहा कि आज की आधुनिक विज्ञान की दुनिया में जल संरक्षण करना और जल संसाधन का सही सदुपयोग करना हम सभी की सबसे पहली ज़िम्मेदारी है। वरना आगे आने वाले भविष्य के संकेत बहुत ही भयावह हैं। यदि हमने मिलकर समय रहते इस बेहद जटिल समस्या का कोई निदान नहीं किया तो आगे आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी। क्योंकि उनका अस्तित्व पूरी तरह से ख़तरे में पड़ जायेगा और धीरे-धीरे नष्ट होने कगार पर भी पहुँच जायेगा। इसलिए आज हम सबका दायित्व है कि हम वर्षा के जल का संरक्षण करे और जल का सदुपयोग बहुत ही सदाचार और सावधानी के साथ करें। उसे अकारण ही नष्ट ना करें। नहीं तो हम अगले पाँच से सात वर्ष के अन्तराल में ही नष्ट होने के कगार पर पहुँच जायेंगे। उन्होंने आगे कहा कि मैं देश के युवाओं से कहना चाहता हूँ कि वो सदैव अन्याय का विरोध करें। वो जल की समस्या का समाधान करने के लिये आगे आये।
उन्होंने मैकाले की शिक्षा नीति पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने हमें जो शिक्षा दी थी वो विद्या नहीं थी वो मात्र हमें गुलाम बनाकर रखने की एक साज़िश के तहत उनकी शिक्षा नीति थी। उससे पहले भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। गलगोटियास विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटियास ने प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिये युवाओं का आह्वान करते कहा कि देश के युवा इस महान यज्ञ में अपनी महत्ती भूमिका निभाने लिये आगे आए । जिससे “धरती के अस्तित्व” को बचाया जा सके। ये हम सबकी पहली ज़िम्मेदारी है। आज फिर से इस बात की महती आवश्यकता आन पड़ी है कि समस्त मानव जाति को प्रकृति के साथ मिलकर चलना होगा। नहीं तो अब वो दिन दूर नहीं है जब हम सब का अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ जायेगा। और पश्चात्ताप के अलावा हमारे पास कुछ भी नहीं होगा।
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