द न्यूज गली, दनकौर : कस्बा स्थित श्री द्रोणाचार्य मंदिर प्रांगण में प्रत्येक वर्ष श्री कृष्ण जन्मोतत्सव पर लगने वाले मेले विगत 100 वर्षों से पारसी थियेटर के माध्यम से नाट्य मंचन होता आ रहा है। इस बार 101 वें मेला के दौरान पारसी थियेटर के माध्यम से कार्यक्रमों का मंचन नही होने के कारण कलाकारों में रोष व्याप्त है। लोगों द्वारा मेला कमिटी से नाटकों का मंचन करने की अपील भी की गई लेकिन कोई समाधान नही निकल सका। इसकी खास बात यह थी कि 30 से अधिक क्षेत्रीय कलाकारों के द्वारा ही अभिनय प्रस्तुत किया जाता रहा है। कस्बा के रहने वाले आलोक मोहन गोयल ने बताया कि सबसे पहले उनके दादा पारसी थियेटर के डायरेक्टर रहे उसके बाद उनके पिता राधारमण गोयल और विगत वर्ष तक वह स्वयं डायरेक्टर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि भारत में पारसी थियेटर केवल पांच स्थानों गुजरात, मुरादाबाद, मुम्बई में दो स्थानों पर और दनकौर कस्बे में चल रहा था। उनका दावा है कि पारसी थियेटर से प्रेरित होकर ही फिल्में बननी शुरू हुई थीं। कस्बा निवासी तरुण शर्मा ने बताया कि वह विगत करीब 10 वर्षों से पारसी थियेटर के माध्यम से तरह तरह के अभिनय प्रस्तुत करते आ रहे हैं। करीब दो माह पहले ही नाटकों के मंचन की तैयारियां शुरू हो जाती थीं। कुछ वर्षों तक कस्बे की रहने वाली दो महिलाओं ने भी इसमें काम किया था लेकिन उनके बाद पुरुष कलाकार ही महिला कलाकार की भूमिका निभाने लगे । पारसी थियेटर में भूमिका निभाने वाले कस्बे के पात्र संदीप भट्ट, पुरुषोत्तम सिंघल, उमेश सैनी, डॉक्टर रहमत अली, मनीष गर्ग, तरुण शर्मा और आलोक मोहन गोयल आदि समेत 30 से अधिक लोग अलग अलग अभिनय प्रस्तुत करते थे। मेले के अवसर पर होने वाले इन नाटकों को देखने के लिए दूरदराज के लोग आया करते थे लेकिन वर्तमान में इनके बंद हो जाने से कलाकारों और दर्शकों में रोष व्याप्त है।
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