-नए नियम के तहत बिल्डर-बायर एग्रीमेंट के समय ही जमा करनी होगी स्टांप ड्यूटी
-लोगों ने शुरू किया विरोध, जल्द दर्ज कराएंगे आपत्ति
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: शासन तक पहुंचे बिल्डर बायर्स के मुद्दे को हल कराने की बजाए अधिकारियों ने बहुत ही चालाकी से बायर्स को लॉलीपाप देने का काम किया है। अधिकारियों की चालाकी जैसे-जैसे बायर्स को समझ में रही है विरोध शुरू हो गया है। लोगों को यह समझ में आने लगा है कि बायर्स के कंधे पर बंदूक रखकर अधिकारियों ने अपना हित साधने का काम किया है। नया नियम लागू होने से शुरू में ही स्टांप शुल्क का पूरा पैसा मिलने के बाद यदि प्रोजेक्ट में कोई पेंच फंसता है तो बायर्स की परेशानी बढ़ जाएगी। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णय पर विरोध जल्द मुखर हो सकता है।
यह बना है नया नियम
तीनों प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में एग्रीमेंट टू सेल को पंजीकृत कराने का फैसला लिया गया। कहा गया कि फ्लैट बायर्स की तरफ से मांग की जा रही थी कि खरीदार की तरफ से 10 फीसदी भुगतान करने पर बिल्डर और बायर के बीच होने वाले एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड (एग्रीमेंट टू सेल) कराने की अनुमति प्रदान की जाए, ताकि बायर्स के पास एक लीगल डॉक्यूमेंट हो सके। इसमें एक प्वाइंट और जोड़ते हुए अधिकारियों ने एग्रीमेंट टू सेल के समय ही खरीदार को स्टांप ड्यूटी का पूरा भुगतान करने का नया नियम बना दिया। बाद में फ्लैट पर पजेशन मिलते ही 100 रुपये के स्टांप पर रजिस्ट्री हो जाएगी। कहा गया कि लीगल डॉक्यूमेंट होने की वजह से बिल्डर किसी प्रकार की गड़बड़ी भी नहीं कर पाएगा। साथ ही रजिस्ट्री विभाग को स्टांप ड्यूटी भी समय से मिल जाएगी। अभी तक फ्लैट की कुल कीमत का भुगतान होने पर ही रजिस्ट्री होती थी।
क्या है लोगों का कहना
नए नियम पर वरिष्ठ कवि व समाजसेवी ओम रायजादा का कहना है कि बोर्ड बैठक में फ्लैट खरीददार और बिल्डर के बीच रजिस्टर्ड एग्रीमेंट का सुझाव सराहनीय है। लेकिन उसी समय खरीददार से पूरी स्टांप ड्यूटी वसूली, पूरी तरह से गलत है। इससे बायर्स को नुकसान होगा। यह फैसला प्राधिकरण की लालची प्रवृति का घोतक है। धीरेंद्र पाल सिंह का कहना है कि यदि 10 प्रतिशत भुगतान के पश्चात प्रोजेक्ट आगे नहीं चलता है या क्रेता किसी कारण से आगे भुगतान नहीं कर पाता है तो भुगतान की गई स्टांप ड्यूटी का क्या होगा। स्टांप का पूरा पैसा भी चला जाएगा और विक्रेता फंस जाएगा।