-सुरक्षा रीयल्टी को लेकर यमुना प्राधिकरण की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर शासन स्तर से फैसला होना बाकी
-30 हजार किसान पिछले 10 साल से कर रहे मुआवजे की मांग
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के 30 हजार किसान और 20 हजार घर खरीदारों का फैसला दो माह से शासन में अटका हुआ है। सुरक्षा रीयल्टी को लेकर यमुना प्राधिकरण की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर शासन स्तर से फैसला ना हो पाने के कारण किसानों को अतिरिक्त मुआवजा वितरण अटका हुआ है। किसान लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे है।
दो बार मिल चुकी है तिथि
यमुना प्राधिकरण किसानों को मुआवजा वितरण के लिए दो बार तिथि दे चुका है, लेकिन दोनों ही बार किस खाली हाथ रह गए। यमुना एक्सप्रेसवे का संचालन कर रही कंपनी जेपी इंफ्राटेक का सुरक्षा रीयल्टी ने अधिग्रहण किया है। इस वजह से मामले में देरी हो रही है।
10 साल से कर रहे मुआवजे की मांग
यमुना एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा के तकरीबन 30 हजार किसान पिछले 10 साल से 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं। पहले मामला कोर्ट में, फिर एनसीएलटी में जाने के कारण किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका।
जगी थी उम्मीद, नहीं हुई पूरी
जेपी इंफ्राटेक का सुरक्षा रीयल्टी द्वारा अधिग्रहण होने के बाद किसानों को मुआवजा जल्द वितरण होने की उम्मीद जगी थी, लेकिन एनसीएलटी के फैसले ने किसानों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हालांकि एनसीएलएटी के फैसले में किसानों को मुआवजा वितरण के लिए 1334.31 करोड रुपए देने के आदेश के बाद एक बार फिर मुआवजे की उम्मीद जगी है। किसानों को पूर्व में कहा गया था कि दिवाली तक मुआवजे की पहली किस्त मिल जाएगी, लेकिन वह अभी तक किसानों के खातों में नहीं पहुंची है।
