– गलगोटियाज विश्वविद्यालय में शुरू हुआ अन्वेषण 2024
– कार्यक्रम में 45 विश्वविद्यालयों के 1400 छात्रों ने लिया हिस्सा
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: गलगोटियाज विश्वविद्यालय में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के तत्वावधान में, नवाचार, शोध और सहयोग को प्रदर्शित करने वाले दो दिवसीय कार्यक्रम अन्वेषण 2024 छात्र अनुसंधान सम्मेलन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में 45 से अधिक विश्वविद्यालयों के 1400 छात्रों ने हिस्सा लिया। छात्रों ने नए-नए अन्वेषण के बारे में जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डाक्टर दिनेश शर्मा थे। उन्होंने भारतीय छात्र पूरे विश्व में अपना नाम रोशन कर रहे हैं।
देश की प्रगति में छात्रों का अहम योगदान
डाक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि युवाओं को आज के इस आधुनिकता के युग में अपने देश भारत की महान संस्कृति की महान विधाओं का अनुश्रवण करना होगा। जिससे वो पूरी दुनिया में अपने विश्वविद्यालय और अपने देश का नाम रोशन कर सकें। उन्होंने संविधान दिवस की याद दिलाई और डाक्टर भीमराव अंबेडकर और डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के योगदान का स्मरण किया। छात्रों को भारत की प्रगति में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित किया। कोरोना महामारी के दौरान भारत के अनुसंधान और टीकों के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज 120 से अधिक देश भारतीय अनुसंधान का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने यूपीआई और डिजिटल पुस्तकालयों का उदाहरण देते हुए भारत के अनुसंधान क्षेत्र में उन्नति की बात की।
नए अनुसंधान जरूरी
गलगोटियाज विश्वविद्यालय के चांसलर सुनील गलगोटिया ने अनुसंधान प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया, विशेष रूप से भारत जैसे विविधताओं वाले देश के लिए। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और ज्ञान के आदान-प्रदान व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए अनुसंधान की आवश्यकता पर भी बल दिया। पूर्व महानिदेशक डाक्टर शशि बाला सिंह ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का जश्न मनाने पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को जिज्ञासु, रचनात्मक और अनुसंधान में निरंतरता बनाए रखने का संदेश दिया और बेहतर विचार और नवाचार के लिए परियोजनाओं के बीच सहयोग पर जोर दिया। डाक्टर विनय पाठक, एआईयू अध्यक्ष, ने छात्रों को नई तकनीकों को अपनाने की प्रवृत्ति और पुरानी तकनीकों को पीछे छोड़ने की बात की। सम्मानित अतिथि डाक्टर देवकांत पहाड़ सिंह ने युवाओं के अनुसंधान में रुचि को भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने औद्योगिक क्रांति और अनुसंधान के योगदान को रेखांकित किया।