द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: राज्य सूचना आयोग लखनऊ ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लैंड विभाग के जन सूचना अधिकारी को 25,000 रुपये का जुर्माना लगाने का नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई वर्ष 2019 में दाखिल आरटीआई का जवाब न देने और मामले को लंबित रखने के कारण की गई है। अधिकारी को 5 दिसंबर, 2024 को लखनऊ में आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया है।
2019 में दाखिल आरटीआई पर प्राधिकरण रहा मौन
पर्यावरणवादी विक्रांत तोंगड़ ने 2019 में आरटीआई के तहत पूछा था कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किस कानून या शासनादेश के तहत किसानों से आपसी सहमति पर जमीन खरीद रहा है। उन्होंने इसे अवैध बताते हुए कहा कि यह प्रक्रिया किसान हित में नहीं है। लेकिन इस आरटीआई का कोई स्पष्ट जवाब प्राधिकरण की ओर से नहीं दिया गया।
एसीईओ स्तर पर भी नहीं मिली राहत
विक्रांत तोंगड़ ने आरटीआई अधिनियम के तहत एसीईओ स्तर पर अपील की, लेकिन वहां से भी कोई सूचना नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील की।
राज्य सूचना आयोग ने सख्त रुख अपनाया
आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाने का नोटिस जारी किया। अधिकारी को यह बताना होगा कि उन पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए। सरकारी विभाग RTI कानून का मजाक बना रहे विक्रांत तोंगड़ ने कहा, 2005 में बने आरटीआई कानून का कुछ सरकारी विभाग मजाक बना रहे है, खासकर विकास प्राधिकरण। पर्यावरण और जनहित से जुड़े मामलों में आरटीआई का जवाब नहीं मिलता। सूचना आयोग में कार्रवाई होने में 4-5 साल लग जाते है और दोषी अधिकारी बच निकलते है।