-विधि विद्यार्थी का प्रथम कर्तव्य न्याय की रक्षा करना
-कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्रों ने लिया हिस्सा
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: नॉलेज पार्क स्थित एक्युरेट कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था भारतीय न्यायपालिका प्रणाली एवं संविधान। संगोष्ठी छात्रों को न्यायपालिका एवं संविधान की गहराई से समझ प्रदान करने में उपयोगी सिद्ध हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजेश टंडन, पूर्व न्यायाधीश, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय थे। मुख्य अतिथि ने भारतीय न्यायपालिका की संरचना एवं उसकी भूमिका पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान की महत्ता पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि यह केवल एक कानूनी दस्तावेज भर नहीं है, बल्कि देश की आत्मा एवं लोकतंत्र की रीढ़ है। उन्होंने छात्रों को समझाया कि एक विधि विद्यार्थी का प्रथम कर्तव्य न्याय की रक्षा करना है तथा समाज के प्रत्येक वर्ग तक न्याय पहुँचाना है।

सभी को मिले न्याय व्यवस्था का लाभ
राजेश टंडन ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था का लाभ समाज के कमजोर, गरीब और वंचित वर्गों तक पहुँचना चाहिए। जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय प्राप्त नहीं होता, तब तक न्यायपालिका का उद्देश्य अधूरा रहता है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए यह भी कहा कि आने वाले समय में वही विधि विद्यार्थी सच्चे अर्थों में समाज का पथप्रदर्शक बनेंगे, जो न्याय और नैतिकता को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाएंगे। संगोष्ठी में बीए एलएलबी (प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर) तथा एलएलबी (प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर) के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। विधि विभाग के सभी प्राध्यापक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। संगोष्ठी ने छात्रों को यह गहन समझ प्रदान की कि संविधान केवल एक विधिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह समानता, न्याय और स्वतंत्रता का प्रतीक है। न्यायपालिका की कार्यप्रणाली तथा सभी नागरिकों को न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इस शैक्षणिक आयोजन ने छात्रों के बौद्धिक विकास में एक नई दिशा प्रदान की और उनके युवा मस्तिष्कों पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।


