द न्यूज गली, नोएडा : नोएडा के सेक्टर-34 स्थित अपना घर आश्रम में पिछले तीन वर्षों से रह रही दो महिलाओं को आखिरकार अपने बच्चों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मानसिक रूप से अस्वस्थ इन दोनों महिलाओं 44 वर्षीय आपा और 26 वर्षीय शबाना को उनके बच्चों से मिलवाने के लिए आश्रम का स्टाफ बीते एक वर्ष से लगातार प्रयासरत था।
बेटियों की याद में रोती थीं मांएं
आश्रम के सचिव निरंजन गुप्ता के अनुसार, आपा को दिसंबर 2023 में और शबाना को नवंबर 2022 में मेरठ के एक अन्य आश्रम से पुलिस द्वारा यहां लाया गया था। दोनों महिलाओं की मानसिक स्थिति कमजोर थी और वे अपने बच्चों से बिछड़ गई थीं। आपा की 11 वर्षीय बेटी परी और शबाना की 10 वर्षीय बेटी श्रुति को सेक्टर-62 स्थित राजकीय बाल गृह (बालिका) में रखा गया था। अपनी बच्चियों से दूर रहकर ये महिलाएं रोज़ उनकी याद में रोती रहती थीं और वीडियो कॉल के ज़रिए उनसे बात करने की ज़िद करती थीं। आश्रम स्टाफ ने उनकी भावनाओं को समझते हुए वीडियो कॉल के ज़रिए संपर्क करवाया और दो-तीन बार आमने-सामने मिलवाने की व्यवस्था भी की।
भरतपुर भेजा गया मां-बेटियों को
अपना घर आश्रम के मीडिया प्रभारी संजीव चौधरी ने बताया कि चूंकि आश्रम में बच्चों के रहने की अनुमति नहीं है, इसलिए महिलाओं को उनके बच्चों के साथ रखने के लिए विकल्प तलाशे जा रहे थे। इसी उद्देश्य से सरकार और जिला प्रशासन से लगातार अनुरोध किया गया, और एक वर्ष की लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार दोनों महिलाओं को उनके बच्चों के साथ राजस्थान स्थित भरतपुर आश्रम भेज दिया गया। वहां एक ही परिसर में महिलाओं और बच्चों के लिए अलग-अलग वार्ड की व्यवस्था है, जिससे मां-बेटियां दिन में दो-तीन बार मिल सकेंगी।
घरवालों ने नहीं अपनाया, आश्रम बना सहारा
शबाना के परिवार का पता चलने के बावजूद उन्होंने उसे अपने साथ ले जाने से इंकार कर दिया। ऐसे में भरतपुर आश्रम ही दोनों महिलाओं और उनकी बेटियों के लिए एक सुरक्षित और स्थायी समाधान बना।
