
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा : नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को गति देने की उम्मीद एक बार फिर जागी है। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के अंतर्गत आने वाले पांच बिल्डर प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए बिल्डरों ने ‘जीरो पीरियड’ लाभ की मांग की है। इन बिल्डरों ने प्राधिकरण को आश्वासन दिया है कि अगर उन्हें यह लाभ मिलता है और उनके प्रोजेक्ट्स में मुनाफे की स्थिति बनती है तो वे अपने केस भी वापस ले लेंगे।
20 से अधिक प्रोजेक्ट्स के होमबॉयर्स को लाभ
फिलहाल, इन प्रोजेक्ट्स में फंसे 5000 से अधिक होमबॉयर्स की राहत के लिए यमुना प्राधिकरण इस प्रस्ताव को अपने बोर्ड में शामिल करेगा और बोर्ड बैठक में इस पर चर्चा होगी। यदि यह प्रस्ताव मंज़ूर हो जाता है, तो इसका लाभ नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अटके 20 से अधिक प्रोजेक्ट्स के होमबॉयर्स को भी मिल सकता है।
कौन-कौन से प्रोजेक्ट हैं विचाराधीन?
यमुना सिटी के सेक्टर-22डी में स्थित ओरिस डेवलपर व सनवर्ल्ड इंफ्रास्ट्रक्चर, सेक्टर-22ए में अजनारा इंडिया लिमिटेड, सेक्टर-22डी में सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लिमिटेड और सेक्टर-17ए में सुपरटेक लिमिटेड की ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं शामिल है। ये सभी प्रोजेक्ट्स या तो राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण या अन्य किसी न्यायालय में विचाराधीन है। इन पर प्राधिकरण का करीब 2800 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। अब इन बिल्डरों ने अमिताभ कांत समिति के तहत जीरो पीरियड का लाभ देने की अपील की है।
क्या है बिल्डरों का दावा?
बिल्डरों का कहना है कि यदि उन्हें जीरो पीरियड का लाभ दिया जाता है तो वे अपने केस वापस लेंगे, बकाया राशि चुकाएंगे और फंसे हुए होमबॉयर्स को राहत देंगे। हालांकि, यमुना प्राधिकरण सीधे कोई निर्णय नहीं लेगा, बल्कि इसे बोर्ड बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा।
पांच प्रोजेक्टस अब भी है अधर में
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में कुल 11 बिल्डर परियोजनाएं है। इनमें से छह परियोजनाओं ने अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों का लाभ लेते हुए 25% बकाया राशि जमा करा दी है, जिससे जनवरी तक 2500 से अधिक रजिस्ट्रियां पूरी होने का दावा किया गया है। लेकिन, पांच बिल्डर प्रोजेक्ट्स अब भी अधर में लटके है और वहां के करीब 4500 होमबॉयर्स को कोई राहत नहीं मिली है।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लिए भी बनेगा रास्ता
यमुना प्राधिकरण की इस बोर्ड बैठक के फैसले का असर नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों पर भी पड़ेगा। वहां भी 20 से अधिक ऐसे प्रोजेक्ट्स है, जो एनसीएलटी या कोर्ट में विचाराधीन है और वहां के बिल्डरों ने भी जीरो पीरियड की मांग की है। यदि यमुना प्राधिकरण इन पांच बिल्डरों को यह लाभ देता है, तो नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी होमबॉयर्स को राहत मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी। यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि बिल्डरों की मांग पर विचार किया जाएगा और बोर्ड बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।