द न्यूज गली, नोएडा : साइबर अपराध के मामलों में बढ़ती सतर्कता और तेज़ कार्रवाई के चलते नोएडा साइबर क्राइम पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। फिशिंग ई-मेल के जरिए की गई ठगी में फंसी एक कंपनी के खाते से निकले 1.55 करोड़ रुपये की पूरी धनराशि वापस कराई गई है। इस पूरे मामले में पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर जांच करते हुए ठगी गई रकम को ट्रैक कर बैंक के सहयोग से उसे सही खाते में वापस भिजवाया।

कैसे हुई थी ठगी?
यह मामला 6 दिसंबर 2024 का है, जब पीड़ित कंपनी ने अपने यूके स्थित वेंडर से कच्चा माल मंगवाने के लिए भुगतान किया था। लेकिन धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधियों ने वेंडर की असली ई-मेल आईडी से मिलती-जुलती फर्जी आईडी बनाकर कंपनी को मेल किया। इसमें गलत बैंक खाता देकर भुगतान उसी में करने का निर्देश दिया गया। पीड़ित कंपनी को इस फर्जीवाड़े की जानकारी तब मिली जब असली वेंडर ने भुगतान न मिलने की शिकायत की। इसके बाद कंपनी को एहसास हुआ कि वह एक साइबर ठगी का शिकार हो गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, कंपनी ने 19 दिसंबर 2024 को साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई।

साइबर पुलिस की तत्परता से मिला न्याय
जैसे ही पुलिस को इस ठगी की सूचना मिली, उन्होंने तुरंत जांच शुरू कर दी। नोएडा साइबर क्राइम टीम ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर ठगी की गई रकम का पता लगाया और संबंधित बैंक और इंटरमीडिएरी एजेंसियों से संपर्क किया। पुलिस ने उच्चाधिकारियों के मार्गदर्शन में तेज़ी से कार्रवाई करते हुए बैंक के साथ समन्वय स्थापित किया और पीड़ित के खाते में शुक्रवार को संपूर्ण 1.55 करोड़ रुपये वापस कराए।

फिशिंग ई-मेल के ज़रिए बढ़ती साइबर ठगी
यह मामला साइबर ठगी के बढ़ते मामलों का एक और उदाहरण है, जहां अपराधी फर्जी ई-मेल और वेबसाइट बनाकर लोगों को धोखा देते हैं। फिशिंग एक ऐसा साइबर अपराध है, जिसमें ठग नकली ई-मेल भेजकर लोगों को विश्वास में लेते हैं और उनकी संवेदनशील जानकारी, बैंक डिटेल्स, पासवर्ड आदि चुरा लेते हैं।

साइबर ठगी से कैसे बचें?
विशेषज्ञों का कहना है कि फिशिंग ई-मेल को पहचानना और सतर्क रहना ही इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। संदिग्ध ई-मेल को ध्यान से जांचें, भेजने वाले की पहचान सुनिश्चित करें, किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें और वित्तीय लेन-देन से पहले हर जानकारी को दोबारा सत्यापित करें। यदि कोई साइबर ठगी का शिकार होता है, तो तुरंत टोल-फ्री नंबर 1930 पर संपर्क करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। जागरूकता और सतर्कता ही साइबर अपराधों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।