द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा : यमुना सिटी में घर का सपना देखने वाले 6,000 से ज्यादा खरीदार अभी भी मालिकाना हक पाने की प्रतीक्षा कर रहे है। अमिताभकांत समिति की सिफारिशों के तहत प्राधिकरण ने फरवरी से अगस्त 2024 तक केवल 810 खरीदारों की ही रजिस्ट्री पूरी की है। रजिस्ट्री प्रक्रिया में देरी का एक प्रमुख कारण खरीदारों की लापरवाही है। 25 प्रतिशत धनराशि जमा करने के बावजूद, कई खरीदार रजिस्ट्री कराने नहीं पहुंच रहे है। कुछ खरीदार विदेश या अन्य शहरों में होने के कारण उपस्थित नहीं हो पा रहे है।

बिल्डरों की उदासीनता बनी अड़चन
यमुना प्राधिकरण की 11 परियोजनाओं में से केवल छह पर अमिताभकांत समिति की सिफारिशें लागू हो सकी है। शेष पांच परियोजनाओं में बिल्डरों ने 25 प्रतिशत धनराशि जमा नहीं कराई है। इन परियोजनाओं में बिल्डरों पर भारी बकाया है, जैसे कि एसडीएस इंफ्राकॉन पर ₹643.06 करोड़, ओरिस डवलपर्स पर ₹814.26 करोड़ और सुपरटेक लिमिटेड पर ₹472.44 करोड़। न्यायिक प्रक्रियाओं और कोर्ट के आदेशों के चलते यह परियोजनाएं अभी भी अधर में है।

छूट के बावजूद अधूरी रजिस्ट्री
21 दिसंबर 2023 को लागू की गई सिफारिशों के तहत बिल्डरों को ₹993.07 करोड़ की छूट प्रदान की गई थी। जबकि उनका कुल बकाया ₹5045.95 करोड़ था। इसके बावजूद, कई परियोजनाओं के बिल्डरों ने निर्धारित धनराशि जमा नहीं कराई, जिससे 6,879 खरीदार प्रभावित हुए। जिन बिल्डरों ने धनराशि जमा की भी है उनके लिए रजिस्ट्री प्रक्रिया धीमी गति से आगे बढ़ रही है। अब तक केवल 11 प्रतिशत खरीदारों को ही मालिकाना हक मिल पाया है।

प्राधिकरण और प्रशासन के प्रयास
यमुना प्राधिकरण और प्रशासन की ओर से रजिस्ट्री प्रक्रिया को तेज करने के लिए कैंप लगाए जा रहे है। हालांकि, खरीदारों की धीमी भागीदारी इस प्रक्रिया में बाधा बनी हुई है। ओएसडी शैलेंद्र भाटिया ने कहा कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के प्रयास जारी है।

घर के सपने पर मंडरा रहा संकट
खरीदारों के साथ-साथ बिल्डरों की निष्क्रियता ने यमुना सिटी में घर के सपने को अधर में डाल दिया है। न्यायिक प्रक्रियाओं और धनराशि जमा न करने के कारण परियोजनाएं रुकी हुई है।