द न्यूज़ गली, ग्रेटर नोएडा :  ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) की अर्जित भूमि में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन और लीज डीड से जुड़ी प्रक्रिया में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। दो निजी कंपनियों के तत्कालीन निदेशकों ने बैंक चालानों में हेराफेरी कर करोड़ों की जमीन सस्ते में हासिल की और प्राधिकरण को करीब 55 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाया। मामले के खुलासे के बाद प्राधिकरण ने दोनों मामलों में सूरजपुर कोतवाली में केस दर्ज कराया है।

प्राधिकरण के सहायक महाप्रबंधक (उद्योग) सिद्धार्थ गौतम की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने दिल्ली के पंकज सिंघल, सैयद हुसैन ताहिर, सैयद आबिद ताहिर, सतीश सिंघल, इरफान अहमद और अरसद इमाम के खिलाफ  नामजद रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

पहला मामला: मैगोन पेपर प्रा.लि. से जुड़ी फर्जीवाड़े की कहानी
यह मामला ईकोटेक-1 विस्तार क्षेत्र के भूखंड संख्या-239 और 240 से जुड़ा है, जो वर्ष 2005 में करीब 2000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में सतीश सिंघल को आवंटित किया गया था। वर्ष 2008 में सतीश सिंघल ने ‘मैगोन पेपर प्रा.लि.’ कंपनी का गठन कर भूखंड को कंपनी के नाम पर प्रतिस्थापित करवा लिया। कंपनी में सतीश सिंघल की 52 फीसदी, इरफान अहमद और अरसद इमाम की 24-24 फीसदी हिस्सेदारी थी। शर्त यह थी कि सतीश सिंघल की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम नहीं होगी।

2009 में लीज डीड पूरी होने के बाद कंपनी को नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया। लेकिन 2010 में कंपनी ने भूखंड को एक अन्य कंपनी ‘दीप्ति लाल जज माल प्रा.लि.’ को हस्तांतरित कर दिया। बाद में वित्तीय दस्तावेजों के सत्यापन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ।

फर्जीवाड़े का तरीका:
23 सितंबर 2009 को जमा किए गए चालान में मात्र 4,000 रुपये की राशि जमा की गई थी, लेकिन चालान पर 20.94 लाख रुपये दर्शाए गए। इससे GNIDA को 20.90 लाख रुपये का नुकसान हुआ।