द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा : दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 30 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में जेस्था प्रोजेक्ट्स और वर्धमान एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हरिंदर बशिष्ठ (49) को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-3 में वर्धमान-आई वैली नामक प्रोजेक्ट में निवेश के नाम पर लोगों से पैसे ऐंठ रहा था।
क्या था ठगी का तरीका?
आरोपियों ने निवेशकों को लालच दिया था कि वह ऑफिस स्पेस, रेजिडेंशियल यूनिट और कॉमर्शियल यूनिट खरीदें। इसके बदले में आरोपियों ने बड़ी मुनाफे की बात की और कहा कि उनके प्रोजेक्ट में आईटी कंपनियां भी निवेश कर रही है। जिससे संपत्ति की कीमत दोगुनी-चौगुनी हो जाएगी। निवेशकों ने विश्वास कर करोड़ों रुपये का निवेश किया, लेकिन न तो उन्हें संपत्ति मिली और न ही उनके पैसे लौटाए गए। इसके बाद पीड़ितों ने शिकायत दर्ज करवाई।
आर्थिक अपराध शाखा का कदम
आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की जांच करते हुए पाया कि आरोपियों ने एक ही प्रॉपर्टी को कई खरीदारों को बेच दिया था। पुलिस ने इस मामले में 75 शिकायतें दर्ज की, जिनमें से एक सुनील गुप्ता की शिकायत थी। उन्होंने दो यूनिट्स के लिए बिल्डर बायर्स एग्रीमेंट (बीबीए) किया था। लेकिन जांच में यह सामने आया कि जेस्था प्रोजेक्ट्स और वर्धमान एस्टेट्स के पास बीबीए करने की अनुमति ही नहीं थी। इसके अलावा, आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर यह ठगी की थी।
पुलिस ने किस तरह किया आरोपियों का पर्दाफाश?
आर्थिक अपराध शाखा की पुलिस ने नोएडा प्राधिकरण की मदद से लीज डीड की गहनता से जांच की। छानबीन के बाद पाया गया है कि आरोपियों ने एक ही प्रॉपर्टी को कई लोगों को बेचा था। इसके बाद पुलिस ने हरिंदर बशिष्ठ को 13 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें चार दिन की रिमांड पर भेजा गया और बाद में कोर्ट में पेश करके जेल भेज दिया गया।
क्या हुआ अब तक?
जेस्था प्रोजेक्ट्स और वर्धमान एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड ने साढ़े तीन साल में प्रोजेक्ट को पूरा करने और निवेशकों को यूनिट सौंपने का वादा किया था। लेकिन आज तक न तो प्रोजेक्ट पूरा हुआ और न ही निवेशकों के पैसे वापस किए गए। पुलिस अब बाकी आरोपियों की तलाश में जुटी है और मामले की और जांच कर रही है। पुलिस बाकी के आरोपीयों की तलाश कर रही हे।