-देश-विदेश के शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं तथा औद्योगिक विशेषज्ञ हुए शामिल
-1300 से अधिक पंजीकरण व 400 शोध पत्र हुए प्राप्‍त

द न्‍यूज गली, ग्रेटर नोएडा: गलगोटियास विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन फार्माइनोवेट-2025 का आयोजन किया गया। जीवनरक्षक उपचार विषय पर आधारित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं तथा औद्योगिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। सम्मेलन का उद्देश्य औषधि विज्ञान, नवोन्मेषी तकनीकों तथा दवा वितरण प्रणाली में हो रहे सतत विकास पर विचार-विमर्श करना था। स्वीडन की उप्साला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व्लादिमिर टॉल्माचेव ने इंजीनियर्ड स्कैफोल्ड प्रोटीन के द्वारा घातक ट्यूमर का लक्ष्यीकरण विषय पर अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए यह प्रोटीन कैंसर कोशिकाओं को सटीक रूप से पहचानकर उपचार को अधिक लक्षित और प्रभावशाली बनाते हैं। कार्यक्रम में 1300 से अधिक पंजीकरण के साथ ही 400 शोध पत्र हुए प्राप्‍त हुए। गलगोटियास विश्वविद्यालय के अध्यक्ष सुनील गलगोटिया ने कार्यक्रम के लिए पूरी टीम को बधाई देते हुए शिक्षा-अनुसंधान क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. ध्रुव गलगोटिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, गलगोटियास कॉलेज ऑफ फार्मेसी, द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलन ज्ञान-विनिमय, सहयोग तथा अनुसंधान-उन्मुख वातावरण को मजबूत बनाते हैं।

नई तकनीक पर डाला प्रकाश
आयरलैंड के डबलिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वेनशिन वांग ने उच्च-क्षमता जीन-प्रेषण अभिकर्मकों की अगली पीढ़ी विषय पर जानकारी दी। उन्होंने आधुनिक जैव-सामग्रियों की उपयोगिता और जीन-उपचार तथा पुनर्योजी चिकित्सा में उनके संभावित योगदान को रेखांकित किया। ब्राज़ील की साओ पाउलो विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रेनाटा फोन्सेका वियाना लोपेज़ ने बाधाओं को पार करना, सटीक दवा वितरण हेतु विद्युत प्रवाह और नैनो-प्रौद्योगिकी विषय पर जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हल्के विद्युत संकेतों और नैनो आकार के वाहक-तंत्रों के उपयोग से दवाएँ शरीर की प्राकृतिक बाधाओं को अधिक प्रभावी ढंग से पार कर सकती हैं। इससे दवाओं को सही स्थान पर नियंत्रित रूप से पहुँचाया जा सकता है तथा अनावश्यक दुष्प्रभावों में कमी लायी जा सकती है। डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एचसी थॉमस राडेस ने औषधियों के ठोस-रूप की विविधता, अमोर्फ यौगिकों पर विशिष्ट दृष्टि पर विचार रखा। उन्होंने बताया कि दवाओं के ठोस-रूप उनकी घुलनशीलता, स्थिरता और जैव-उपलब्धता को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।