द न्यूज गली, नोएडा : नोएडा प्राधिकरण की दो हाउसिंग परियोजनाओं की आर्थिक अनियमितताओं को लेकर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने जांच शुरू करने की तैयारी कर ली है। सेक्टर-100 और सेक्टर-110 में स्थित ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड की इन दोनों परियोजनाओं पर नोएडा प्राधिकरण का 1589.49 करोड़ रुपये का बकाया है। इस मामले में प्राधिकरण ने छह प्रमोटर्स के खिलाफ जांच की सिफारिश की है।

बकाया राशि और निर्माण कार्य में देरी का आरोप
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने बताया कि ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या जीएच-3, सेक्टर-100 का 120000 वर्गमीटर का प्लॉट 24 दिसंबर 2008 को मेसर्स रेड फोर्ट जहांगीर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित किया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया। 30 दिसंबर 2008 को लीज प्रलेख कराते हुए इस जमीन का कब्जा दिया गया, लेकिन आवंटी ने तयशुदा शर्तों के अनुसार भुगतान नहीं किया। इस परियोजना पर 495.85 करोड़ रुपये की बकाया राशि है, जिसे अभी तक जमा नहीं किया गया है। इसी तरह, ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या जीएच-5, सेक्टर-110 का 164120 वर्गमीटर का प्लॉट 10 दिसंबर 2009 को रेड फोर्ट जहांगीर प्रॉपर्टीज को आवंटित किया गया। बाद में इसका नाम बदलकर ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया और 29 दिसंबर 2009 को लीज डीड कराते हुए कब्जा दिया गया। इस परियोजना में भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ, और 1093.64 करोड़ रुपये की राशि बकाया रह गई।

फ्लैट्स बेचकर धनराशि डायवर्ट करने का आरोप
नोएडा प्राधिकरण का कहना है कि इन परियोजनाओं के प्रमोटर्स विदुर भारद्वाज, निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी, गुरुबक्श सिंह, सुभाष बेदी और कल्याण यनमेंद्र चक्रवर्ती ने फ्लैट बेचकर तृतीय पक्ष के अधिकार सृजित कर दिए, जबकि बुकिंग से प्राप्त धनराशि को प्राधिकरण के खाते में जमा करने के बजाय अन्यत्र निवेश कर दिया। इससे न केवल प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि फ्लैट खरीदार भी मुश्किल में पड़ गए। हजारों निवेशकों ने इन परियोजनाओं में अपने सपनों का घर बुक किया था, लेकिन निर्माण कार्य अधूरा रह जाने के कारण वे अब ठगे हुए महसूस कर रहे है।

60 टावरों और 7000 से अधिक फ्लैटों की थी योजना
इन दोनों परियोजनाओं में कुल 60 टावर बनाने की मंजूरी मिली थी, जिसमें सेक्टर-100 में 29 टावर और सेक्टर-110 में 31 टावर बनाए जाने थे। इन परियोजनाओं में कुल 7000 से अधिक फ्लैटों के निर्माण की अनुमति दी गई थी। लेकिन तयशुदा समयसीमा के भीतर निर्माण पूरा न होने और भुगतान में गड़बड़ी के कारण अब यह मामला विवादों में आ गया है।

अब ईओडब्ल्यू करेगी जांच
नोएडा प्राधिकरण ने इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए आर्थिक अपराध शाखा (EOW) से जांच की सिफारिश की है। अब ईओडब्ल्यू यह जांच करेगी कि प्रमोटर्स द्वारा बुकिंग से प्राप्त धनराशि का उपयोग किस तरह किया गया और क्या यह जानबूझकर की गई धोखाधड़ी का मामला है। अगर आरोप सही पाए जाते है, तो इन प्रमोटर्स के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।