-अप्रैल 2025 से यात्रियों से शुरू होगा नोएडा एयरपोर्ट
-गोवा से लेकर दुबई तक की यहां से भरी जाएगी उड़ान

द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दो दिन बाद यानी 15 नवंबर से विमानों की लैंडिंग शुरू हो जाएगी। टेस्टिंग के तहत दो दिन बाद यहां विमान उतारे जाएंगे। चार दिन तक चली कैलिब्रेशन फ्लाइट की सफल टेस्टिंग के आधार पर डायरेक्ट्रेट जनरल सिविल एविएशन ने यहां के रनवे पर विमानों की टेस्टिंग और लैंडिंग की अनुमित दे दी है।

फुल मोड में शुरू होगा ट्रायल
30 नवंबर से नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का ट्रायल किया जाना है, जिसकी अनुमति के लिए टेस्टिंग ट्रायल का डेटा डीजीसीए को भेजा जाएगा। यह टेस्टिंग ट्रायल 15 नवंबर से शुरू होगा। इसमें विमानों को पहली बार रनवे पर उतारने की टेस्टिंग होगी। यदि विमानों को रनवे पर उतारने की टेस्टिंग सफल रहती है तो 25 नवंबर को डीजीसीए से फुल मोड में 30 नवंबर से ट्रायल शुरू करने के लिए परमीशन मिलने की उम्मीद की जा सकेगी। इस अनुमति के बाद ही 30 नवंबर से ट्रायल शुरू हो सकेगा।

आईएलएल जांच के बाद मिली स्वीकृति
नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एयरपोर्ट पर चार दिनों तक चली आईएलएल जांच के सफल होने पर अपनी स्वीकृति दी है। अब 15 नवंबर से एयरपोर्ट के रनवे की टेस्टिंग के लिए एयरक्राफ्ट समेत कमर्शल विमानों को रनवे पर उतारा जा सकेगा। इसके बाद 30 नवंबर को पूरी तैयारियों के साथ ट्रायल होगा।

कैट एक और कैट तीन उपकरण हुए स्थापित
एयरपोर्ट पर कैट-1 और कैट-3 उपकरण स्थापित हो चुके हैं, जो कोहरे में विमान की ऊंचाई और दृश्यता की जानकारी देते हैं। डीजीसीए ने उपकरणों का निरीक्षण भी किया था। उड़ान के दौरान जांच के समय सभी नेविगेशन और रडार संबंधी उपकरण ठीक से काम करते मिले थे।

क्या है आईएलएस
आईएलएस एक रेडियो नेविगेशन सिस्टम है, जो विशेष रूप से कम दृश्यता की स्थिति में दृष्टिकोण और लैंडिंग के दौरान पायलट को सही जानकारी देता है। इस प्रणाली में दो मुख्य घटक होते हैं, जिनमें लोकलाइजर और ग्लाइड पाथ एंटीना शामिल हैं। यह सुरक्षा प्रणाली पायलट को कोहरे, बारिश या अन्य प्रतिकूल मौसम स्थितियों के कारण दृश्यता काफी कम होने पर भी सुरक्षित रूप से उतरने में सक्षम बनाती है।