-गांवों में खुले में बह रहा था सीवर का गंदा पानी
-पर्यावरणविद् प्रदीप डाहलिया एवं कर्मवीर सिंह नागर ने दायर की थी याचिका
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: गांवों में सीवर की स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। नालियां जाम हैं, गंदा पानी सड़क व अन्य स्थानों पर बह रहा है। इस कारण लोगों को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार की शिकायत के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा था। पर्यावरणविद् प्रदीप डाहलिया एवं कर्मवीर सिंह नागर ने मामले में एनजीटी में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद एनजीटी ने एक संयुक्त समिति के गठन का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि मामले की विस्तृत रिपोर्ट 10 सप्ताह में जमा करें।
समिति में होंगे यह अधिकारी
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने अपने आदेश में कहा है कि संयुक्त समिति में जिलाधिकारी (DM), ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) तथा पुलिस आयुक्त को शामिल किया जाए। साथ ही स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सीवेज खुले में, जमीन पर, नालियों या किसी भी जल निकाय में नहीं बहना चाहिए। इसके लिए यूपीपीसीबी को विशेष रूप से निगरानी और अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। एनजीटी ने संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक परिवार सीवरेज कनेक्शन ले और कोई भी परिवार सीवेज या अपशिष्ट जल को खुली नालियों में न बहाए। मामले में याचिकाकर्ताओं प्रदीप डाहलिया (पर्यावरणविद्) एवं कर्मवीर सिंह नागर की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने दलील दी कि औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम के अंतर्गत जीएनआईडीए का यह वैधानिक कर्तव्य है कि वह अधिसूचित गांवों में भी नियोजित विकास सुनिश्चित करे तथा मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए।
