द न्यूज गली, नोएडा : देश की सबसे दूषित हवा अब नोएडा में बह रही है। सर्दियों की दस्तक के साथ प्रदूषण की चादर और गहरी होती जा रही है, जिससे लोगों का हाल बेहाल है। सोमवार को शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 330 के स्तर पर पहुँच गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में माना जाता है। धूल उड़ाती उखड़ी सड़कें, निर्माण स्थलों पर नियमों की अनदेखी और प्राधिकरण की ढिलाई ने शहर को लगातार ‘रेड जोन’ में बनाए रखा है।

सड़कें टूटी, पानी का छिड़काव नदारद
नोएडा और ग्रेटर नोएडा की अनेक सड़कें महीनों से खुली पड़ी हैं। इन पर वाहनों की आवाजाही से उठती धूल हवा में जहर घोल रही है। निर्माण स्थलों पर न पानी का छिड़काव हो रहा है, न ही ग्रीन नेट लगाने के निर्देशों का पालन दिखता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी साफ कह चुके हैं कि प्राधिकरण को कई बार नोटिस देकर सचेत किया गया, पर हालात जस के तस हैं। करोड़ों रुपये का बजट होने के बावजूद प्रदूषण रोकथाम के उपाय धरातल पर दिखाई नहीं देते।

ग्रैप-2 लागू, पर नियम सिर्फ कागज़ों में
ग्रैप-2 की पाबंदियां लागू हैं, जिनके तहत निर्माण कार्य सख्त नियमों के साथ ही किया जा सकता है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर न तो नियमों की परवाह है और न ही दंड का डर। यह लापरवाही हवा को और जहरीला बना रही है।

ठंडी हवाओं के साथ गिरा पारा—4.1 डिग्री तक पहुँचा न्यूनतम तापमान
सोमवार का दिन इस सीजन का सबसे सर्द रहा। न्यूनतम तापमान 4.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि अधिकतम तापमान 25.6 डिग्री रहा। लगभग 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली उत्तरी हवाओं ने सर्दी में और इज़ाफा किया। सुबह शहर पर छाई हल्की धुंध ने दृश्यता को 3 किमी तक सीमित कर दिया और मौसम में ठिठुरन बढ़ाई।

लोगों की सेहत पर प्रभाव—आसमान धुंधला, सांसें बोझिल
जहरीली हवा ने शहरवासियों की परेशानी बढ़ा दी है। आंखों में जलन, खांसी, गले में खराश और सांस की समस्या के मरीज अस्पतालों में बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आगामी दिनों में खतरा और बढ़ सकता है।