-आदेश के अनुरूप नहीं कराया गया है पौधा रोपण
-जियो टैगिंग से खुल जाएगी अधिकारियों की पोल
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले वर्ष हुए पौधा रोपण अभियान में हर जिले को पौधा लगाने का लक्ष्य दिया था। जिले को भी लगभग 10 लाख पौधा लगाने का लक्ष्य मिला था। यह पौधे विभिन्न विभागों के द्वारा लगाए जाने थे। साथ ही आदेश दिया गया था कि हर पौधे की जियो टैगिंग भी की जाएगी। अधिकारियों ने लक्ष्य के अनुरूप पौधे लगाने का दावा तो कर दिया लेकिन जियो टैगिंग से कदम पीछे खींच रहे हैं। उन्हें डर सता रहा है कि जियो टैगिंग करने से फर्जीवाड़े का पता चल जाएगा। डीएम मनीष कुमार वर्मा के द्वारा बैठक में कई बार अधिकारियों को जियो टैगिंग कराने का आदेश जारी किया जा चुका है लेकिन अधिकारी नहीं करा रहे हैं। बैठक में उन्होंने एक बार दोबारा अधिकारियों को जियो टैगिंग का आदेश दिया है।
ग्रैप के नियम का कराएं पालनक
मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में वृक्षारोपण, जिला पर्यावरण, गंगा एवं वेटलैंड समिति की बैठक हुई। डीएम ने सम्बन्धित विभागों के कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि जनपद गौतमबुद्ध नगर औद्योगिक क्षेत्र होने तथा अधिक यातायात होने के दृष्टिगत पर्यावरण को लेकर अत्यंत संवेदनशील जनपद है। उन्होंने संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए कि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए कारगार उपाय किए जाएं व जनपद में अभियान चलाकर ग्रेप के नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जाए और जहां पर भी ग्रेप के नियमों का उल्लंघन होता पाया जाए वहां पर जुर्माना लगाते हुए दंडात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाए। डंपर व ट्रैक्टर ट्राली में ओवरलोडिंग एवं बिना ढके सामग्री पर रोक लगाई जाए, इसके लिए पुलिस, परिवहन एवं खनन विभाग के अधिकारीगण संयुक्त रूप से अभियान चलाकर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
डूब क्षेत्र में न हो अवैध निर्माण
डीएम ने जिला गंगा समिति की समीक्षा करते हुए प्राधिकरण के अधिकारियों से कहा कि यमुना एवं हिंडन के मैदानों पर अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से अधिकारियों द्वारा संबंधित क्षेत्र में निरंतर भ्रमणशील रहकर अपने कार्रवाई करें। साथ ही डूब क्षेत्र में इस आशय का होर्डिंग लगाये जाये कि डूब क्षेत्र में किसी प्रकार के निर्माण कार्य प्रतिबंधित है एवं नदियों के साफ-सफाई पर विशेष फोकस बनाए रखने के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। एनजीटी के मानकों के अनुरूप गंगा एवं उसकी सहायक नदी जलाशय में मिलने वाली अन्टैप्ड ड्रेन्स के अंतरिम उपचार के लिए फाईटोरेमेडियेशन की व्यवस्था की जाए।