-मांगों के समर्थन में हजारों किसानों ने बुलंद की आवाज
-सुरक्षा को देखते हुए प्राधिकरण कार्यालय पुलिस छावनी में हुआ तब्दील
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में अपनी दो मांगों के समर्थन में 12 से अधिक किसान संगठनों ने अपनी आवाज को बुलंद किया। जिले के गांव-गांव से हजारों की संख्या में किसान सुबह से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर पहुंचना शुरू हो गए। आंदोलन को देखते हुए पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारी सचेत रहे। प्राधिकरण कार्यालय को पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। राकेश टिकैत, सुखवीर खलीफा, सोरन प्रधान, डाक्टर रूपेश, बृजेश भाटी, पवन खटाना, विकास प्रधान सहित अन्य किसान नेताओं ने सभा को संबोधित किया। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी सहित अन्य पार्टी के नेताओं ने भी मौके पर पहुंचकर किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया।
बंटोगे तो लुटोगे
किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अधिकारियों के द्वारा पिछले लगभग 30 वर्षों से किसानों से वादा किया जा रहा है। जो कि आज तक पूरा नहीं हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में यह लड़ाई आर-पार की होगी, हमें इस लड़ाई को जीतना है। यदि नोएडा के किसान लड़ाई को हारते हैं तो पूरे देश के किसानों की हार होगी। कहा अपनी कमेटी पर विश्वास करिए और एकता को मजबूत बनाकर रखिए। उन्होंने कहा सरकार बंटोगे तो कटोगे का नारा देती है हमारा नारा है बंटोगे तो लुटोगे।
पुलिस रही मुस्तैद
संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ आने वाले रास्तों को चारों तरह से बंद कर दिया गया था। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के दोनों गेट पर बैरीकेटिंग कर दी गई थी। प्राधिकरण के जो अधिकारी व कर्मचारी सुबह कार्यालय पहुंच गए थे वह कार्यालय में ही कैद रहे। आंदोलन पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी लगातार नजर बनाए हुए थे।
एसीईओ को किसानों ने लौटाया
किसानों से वार्ता करने के लिए शाम को लगभग साढ़े पांच बजे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ आशुतोष व अन्य अधिकारी पहुंचे। किसान नेता सुनील प्रधान ने बताया कि अधिकारियों ने जमीन पर बैठकर वार्ता करने से मना कर दिया। इस कारण सभी किसान संगठन के नेता नाराज हो गए। किसानों ने अधिकारियों को वापस लौटा दिया। कुछ देर बाद अधिकारी दोबारा वापस आए जमीन पर बैठकर वार्ता की।