– मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मानस मर्मज्ञ पं. रामकिंकर उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष पर भावांजलि की अर्पित
– कहा रामकिंकर की स्मृतियों को एक स्मृति ग्रंथ के रूप में संजोकर लोगों तक पहुंचाना चाहिए


द न्‍यूज गली, लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ‘भावांजलि’ कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम भारत के प्रतिष्ठित मानस मर्मज्ञ और पद्मभूषण सम्मानित पं. रामकिंकर उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पं. रामकिंकर उपाध्याय की महिमा का बखान करते हुए उनके योगदान और सनातन धर्म के प्रति उनके समर्पण को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि हमारे लिए यह अत्यंत गौरव का क्षण है कि हम एक ऐसे महापुरुष के शताब्दी समारोह के आयोजन से जुड़े हैं, जिनका जीवन सनातन धर्म और प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर आधारित था। युग तुलसी पं. रामकिंकर का संपूर्ण जीवन श्रीराम और तुलसी साहित्य के प्रति समर्पित था। उनकी व्याख्याएं और चिंतन अनूठी थी, जो सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी। यजुर्वेद का उल्लेख करते हुए महापुरुषों के लक्षणों की बात की और कहा कि शास्त्रों में दो प्रकार के पुरुषों की चर्चा होती है, प्राकृत पुरुष और विशिष्ट पुरुष। रामकिंकर का संपूर्ण जीवन विशिष्टता का प्रतीक रहा है। उनका कार्य और उसके परिणाम बताते हैं कि उन्होंने लीक से हटकर समाज को प्रेरणा दी है।


श्रीराम कथा की विशिष्ट शैली का किया था सूत्रपात
पं. रामकिंकर उपाध्याय की श्रीराम कथा की विशिष्ट शैली का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने रामकथा को एक नई दिशा दी। उनकी कथाएं न केवल आम जनमानस, बल्कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे गणमान्य लोगों को भी प्रभावित करती थीं। लगभग छह दशकों तक उन्होंने मानस के माध्यम से सनातन धर्म की सेवा की। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह हमारा दायित्व है कि हम ऐसे महापुरुषों के प्रति सम्मान का भाव रखें और उनकी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाएं। पं. रामकिंकर उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष एक विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह वही वर्ष है जब 500 वर्षों के बाद श्रीरामलला अयोध्या में विराजमान हो चुके हैं।


महापुरुषों की स्मृतियों को सहेजने की आवश्यकता
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महापुरुषों की स्मृतियों को सहेजना और उन्हें आम जनमानस तक पहुंचाना आवश्यक है। यह वर्ष पं. रामकिंकर उपाध्याय की जन्मशताब्दी का वर्ष है। हमें उनकी स्मृतियों को एक स्मृति ग्रंथ के रूप में संजोकर लोगों तक पहुंचाना चाहिए, ताकि उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी बन सके। पं. रामकिंकर उपाध्याय को भावांजलि अर्पित करते हुए हुए मुख्‍यमंत्री ने कहा कि उनका पूरा जीवन रामचरित मानस और तुलसी साहित्य के प्रति समर्पित था। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि वे अपने परम भक्त की अमरता और यशस्वी परंपरा को आगे बढ़ाएं, जो सनातन धर्म के अनुयायियों का मार्गदर्शन करती रहे। भावांजलि कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा, श्रीरामायण ट्रस्ट की अध्यक्ष साध्वी मंदाकिनी, प्रख्यात कथा व्यास पं. उमाशंकर शर्मा और किशोर टंडन समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।