-धरने के लिए अब तक बीस से अधिक किसान संगठनों से साधा गया संपर्क
-पुरुषों के साथ ही आंदोलन में बड़ी संख्‍या में महिलाएं भी होंगी शामिल

द न्‍यूज गली, ग्रेटर नोएडा: मांगों के समर्थन में किसान संगठनों ने डीएम कार्यालय पर सोमवार से महा आंदोलन की तेयारी पूरी कर ली है। खास बात है कि धरने में शामिल होने के लिए आगरा तक के किसान संगठनों से संपर्क साधा गया है। सभी ने आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। पचास से अधिक गांवों में पहुंचकर किसानों से भी आंदोलन में आने के लिए संपर्क किया गया है। किसानों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस व जिला प्रशाासन के अधिकारियों ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है। डीएम कार्यालय पर बड़ी संख्‍या में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।

यह है किसान संगठनों की मांग
संयुक्त किसान मोर्चा (भूमि अधिकार) में जुड़े गौतमबुद्धनगर से आगरा तक दर्जनों किसान संगठनों एवं भारतीय किसान सभा और भारतीय किसान परिषद के आह्वान पर आंदोलन होगा। आंदोलन में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण तीनों प्राधिकरण, बुलंदशहर और गाजियाबाद प्राधिकरण, यूपीसीड़ा, एनटीपीसी और एनएचएआई तथा विभिन्न बिल्डर परियोजनाओं से प्रभावित किसानों की मांगों को पूरा करने की लड़ाई लड़ी जाएगी। किसानों की मांग है कि नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार बाजार दर का 4 गुना मुआवजा, 20 प्रतिशत प्लॉट एवं अन्य सभी लाभ दिए जाएं। पुराने कानून के तहत जमीन लिए जाने से प्रभावित किसानों को एक समान नीति के तहत 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा, 10 प्रतिशत प्लॉट, भूमिहीनों को प्लॉट के साथ ही आबादियों के निस्तारण और युवाओं को रोजगार दिए जाने की मांग की जाएगी।

रिपोर्ट करेंगे सार्वजनिक
किसान नेता सुनील फौजी एडवोकेट ने बताया कि उक्त मुद्दों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर हाई पावर कमेटी बनी थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है, लेकिन लंबे समय बाद भी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। आंदोलन में यह मांग भी होगी कि रिपोर्ट को सार्वजकिन किया जाए। आंदोलन में शामिल होने के लिए किसानों ने डीएमआईसी, अंसल बिल्डर, यूपीसीडा, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे आदि परियोजनाओं से प्रभावित गांवों में भी जनजागरण अभियान चलाया गया। किसानों की ओर से बताया गया कि इस बार सभी किसान संगठन संयुक्त रूप से मिलकर निर्णायक आन्दोलन की ओर बढ़ रहे हैं। किसानों ने तय किया है कि कलेक्ट्रेट पर महापड़ाव पर यदि सरकार संज्ञान नहीं लेती है तो उन्हें लखनऊ या दिल्ली के लिए भी कूच करना पड़ेगा तो वो पीछे नहीं हटेंगे।