(लेख: डॉ. एन.सी. शर्मा, मार्केटिंग गुरु, प्रेरक, एसोसिएट प्रोफेसर)
द न्यूज़ गली, ग्रेटर नोएडा : श्री राम की रावण पर विजय केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह प्रबंधन के सिद्धांतों और जीवन के मूल्यों का प्रतीक भी है। मैंने लंबे समय से मार्केटिंग मैनेजमेंट और कंज्यूमर बिहेवियर जैसे विषयों को पढ़ाया है। इस दौरान, विद्यार्थियों के साथ केस स्टडीज पर चर्चा करना और उन्हें समस्याओं का समाधान समूह में निकालने का अवसर देना उनके विकास के लिए महत्वपूर्ण रहा है। श्री राम की विजयदशमी का पर्व हमें यह सिखाता है कि सत्य, विनम्रता, और उजाले की विजय असत्य, अहंकार, और अंधकार पर होती है। श्री राम का जीवन हमें यह समझाता है कि असली नायक वही है, जो कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है। वे राजमहल में नहीं, बल्कि वनवास के दौरान कठिनाइयों को पार करके जन-जन के नायक बने। महान कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने राम की शक्ति पूजा के माध्यम से युगीन चेतना और आत्म संघर्ष को चित्रित किया है। श्री राम का जीवन हमें सिखाता है कि असंभव को संभव बनाना, सभी वर्गों का सम्मान करना, और सहयोग लेना ही असली प्रबंधन कला है। इसलिए, श्री राम केवल प्रबंधन के छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी शिक्षाएं हमें यह समझने में मदद करती हैं कि सफल प्रबंधक वही हैं, जो चुनौतियों का सामना करते हुए अपने समाज के हित में कार्य करते हैं।
“साधु साधु, साधक धीर, धर्म धन्य राम”
यह पंक्ति हमें प्रेरित करती है कि हम अपने जीवन में श्री राम के आदर्शों को आत्मसात करें और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाएं।