
द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा : भारत के विभिन्न राज्यों में धर्मकांटों (वजन तौलने वाले इलेक्ट्रॉनिक तराजू) में छेड़छाड़ कर करोड़ों रुपये का घोटाला करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। SWAT टीम और थाना दनकौर पुलिस के संयुक्त प्रयास से चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है, जो इलेक्ट्रॉनिक चिप और रिमोट के जरिए धर्मकांटों में हेरफेर कर सामान का वजन अपनी मर्जी से घटा-बढ़ा सकते थे। गिरफ्तार आरोपियों में कपिल कुमार, मनमोहन सिंह, विनय कुमार शर्मा और धीरज शर्मा शामिल है। इन अपराधियों की गिरफ्तारी थाना दनकौर क्षेत्र के सलारपुर अंडरपास से हुई। पुलिस ने इनके कब्जे से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक चिप, रिमोट और उपकरण बरामद किए है, जिनकी कीमत करीब 75 लाख रुपये आंकी गई है।
तकनीक का इस्तेमाल कर लाखों का खेल
यह गिरोह धर्मकांटों में इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाकर रिमोट के जरिए वजन को अपनी मर्जी के मुताबिक कम-ज्यादा कर देता था। जब किसी ट्रक या अन्य वाहन में माल तौला जाता, तो आरोपी रिमोट के जरिए वजन घटा देते, जिससे व्यापारी, कंपनियां और आम जनता को भारी नुकसान होता। दूसरी ओर, खरीददार और स्क्रैप माफिया को कम वजन पर अधिक लाभ मिलता था। गिरोह ने अब तक इस तकनीक का इस्तेमाल कर करीब 50 लाख रुपये की अवैध कमाई कर ली थी। पुलिस को जांच में पता चला है कि यह गिरोह महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में सक्रिय था।
कैसे हुआ इस घोटाले का खुलासा?
डीसीपी साद मियां खान ने बताया कि पुलिस को लंबे समय से धर्मकांटों में वजन कम दिखाने की शिकायतें मिल रही थी। कई व्यापारी और ट्रांसपोर्ट कंपनियां नुकसान की बात कह रही थी, लेकिन ठोस सबूत नहीं मिल रहे थे। आखिरकार, SWAT टीम और दनकौर पुलिस ने खुफिया जानकारी जुटाकर गिरोह को ट्रैक किया और सलारपुर अंडरपास के पास चारों अपराधियों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने पूछताछ की, तो पूरा नेटवर्क उजागर हो गया। आरोपी कपिल कुमार ने बताया कि उसने ऑनलाइन इंडियामार्ट वेबसाइट के जरिए विनय कुमार शर्मा और धीरज शर्मा से संपर्क किया था। ये दोनों इलेक्ट्रॉनिक्स विशेषज्ञ थे और इन्होंने खासतौर पर धर्मकांटों में हेरफेर करने वाली चिप बनाई थी।
कैसे होता था यह हाईटेक घोटाला?
गिरोह के सदस्य धर्मकांटा मालिकों को मोटी रकम का लालच देकर उनके तराजू में इलेक्ट्रॉनिक चिप इंस्टॉल कर देते थे। यह चिप एक रिमोट के जरिए नियंत्रित की जाती थी। जब भी कोई ट्रक या गाड़ी वजन कराने आता, तो गिरोह के लोग रिमोट का इस्तेमाल कर वजन को वास्तविक से कम कर देते थे। इस तरह, सामान के असली वजन से कम दिखने के कारण व्यापारी और कंपनियां लाखों का नुकसान उठाते, जबकि गिरोह और उनके सहयोगी (स्क्रैप माफिया, सरिया माफिया, बिल्डिंग मटेरियल माफिया) इससे बड़ा मुनाफा कमाते थे। गिरोह धर्मकांटों के मालिकों को चिप बेचने के लिए 5 से 10 लाख रुपये तक की मांग करता था, जबकि एक चिप को बनाने की लागत सिर्फ 10 से 20 हजार रुपये थी। इस तरह, यह पूरा खेल करोड़ों रुपये तक फैल चुका था। पूछताछ में सामने आया कि गिरोह का मास्टरमाइंड कपिल कुमार था। जिसने मनमोहन सिंह के साथ मिलकर इस ठगी का नेटवर्क तैयार किया था। वहीं, विनय कुमार शर्मा और धीरज शर्मा ने चिप बनाने का काम संभाला था। विनय कुमार एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर था और उसने इंडियामार्ट साइट पर अपनी प्रोफाइल बनाकर इस तकनीक को बेचने की पेशकश की थी। कपिल और मनमोहन ने इस तकनीक को कई राज्यों में फैलाया और धर्मकांटा मालिकों को चिप बेचकर मोटी कमाई की।
पुलिस ने क्या-क्या बरामद किया?
गिरोह के पास से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद हुआ, जिसमें 67 रिमोट, 30 इलेक्ट्रॉनिक चिप, एक डेस्कटॉप, दो यूपीएस, एक लैपटॉप, फेडमैन किट सेट, वेट इंडिकेटर, लोड सेल ट्रांसड्यूसर, पावर सप्लाई केबल, बैटरियां, सोल्डर मशीन, कनेक्टिंग वायर और अन्य उपकरण शामिल है। इन उपकरणों की कुल कीमत करीब 75 लाख रुपये बताई जा रही है, जबकि चिप बनाने में इस्तेमाल होने वाले अन्य उपकरणों की कीमत करीब 5 लाख रुपये है। इस घोटाले के कारण व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और आम जनता को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। धर्मकांटों में वजन कम दिखाने से कंपनियों को आर्थिक हानि हुई, जबकि स्क्रैप और सरिया माफिया ने सस्ते दामों पर सामान खरीदकर बड़े मुनाफे कमाए। गिरोह की इस हरकत से बाजार में बड़े स्तर पर गड़बड़ी फैल गई थी, क्योंकि व्यापारिक लेन-देन में भरोसे को तोड़कर हेरफेर किया जा रहा था। गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और पुलिस इनके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है।