-प्राधिकरण की घोर लारवाही आई सामने, विशेषज्ञ की बजाए सिविल ठेकेदार को सौंपा काम
-सेफ संस्‍था ने दर्ज कराया विरोध,  रुकवाया गया पेड़ों को उखाड़ने का काम


द न्‍यूज गली, ग्रेटर नोएडा: पर्यावरण के लिए पेड़ों का होना कितना जरूरी है यह बात एक-एक आम आदमी को पता है लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वरिष्‍ठ अधिकारी शायद इससे अंजान है। तभी उन्‍होंने ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट में बनने वाले अंडरपास के मार्ग में आने वाले लगभग 1000 हजार पेड़ों को प्रत्‍यारोपित करने की जिम्‍मेदारी अनुभवी व्‍यक्ति की बजाए सिविल ठेकेदार को दे दी। ठेकेदार के द्वारा तकनीकी का प्रयोग करने की बजाए जेसीबी मशीन से पेड़ों को हटा कर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाने लगा। तकनीकी का इस्‍तमाल न होने के कारण हटाए गए पेड़ सूखने लगे। मामले की जानकारी मिलने पर सोशल एक्‍शन फॉर फॉरेस्‍ट एंड एनवायरमेंट(सेफ) संस्‍था ने अपना विरोध दर्ज कराया है। साथ ही पेड़ों को हटाने की तकनीकी जानकारी भी बताई है। मामले का संज्ञान लेते हुए प्राधिकरण अधिकारियों को पेड़ों को हटाने के काम को तत्‍काल रुकवा दिया है। अब तकनीकी के आधार पर अन्‍य पेड़ों को हटाया जाएगा।


इस कारण हटाए जा रहे पेड़
ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट में आए दिन जाम लगता है। जाम की समस्‍या को समाप्‍त करने के‍ लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अंडरपास बनाने का निर्णय लिया था। जिस स्‍थान पर अंडरपास का निर्माण किया जाना है उस मार्ग पर 1052 पेड़ आ रहे हैं। इन पेड़ों को हटा कर दूसरे स्‍थान पर लगाया जा रहा है। प्राधिकरण ने इस कार्य के लिए एक टेंडर जारी किया था, लेकिन उसमें इस बात का जिक्र नहीं किया गया कि पेड़ों को तकनीकी रूप से हटाया जाए। जानकारी न होने के कारण सिविल का कार्य करने वाले ठेकेदार को ठेका दे दिया गया। सेफ संस्‍था के विक्रांत तोंगण का कहना है मौके पर जाकर देखा गया तो पेड़ों को जेसीबी की सहायता से हटाया जा रहा था। तकनीकी का कोई इस्‍तमाल नहीं किया जा रहा था। ऐसे में हटाए जाने वाले सभी पेड़ सूख जाते। मामला प्राधिकरण के वरष्ठि अधिकारियों के संज्ञान में रखा गया है, फिलहाल उन्‍होंने काम बंद करा दिया है।


पचास लाख का जारी हुआ बजट
विक्रांत का कहना है कि यूपी ट्री एक्‍ट के तहत जो पेड़ हटाए जा रहे हैं उसके स्‍थान पर नए पेड़ लगाए जाने का भी प्राविधान है। दो हजार नए पेड़ लगने के लिए प्राधिकरण ने वन विभाग को लगभग पचास लाख रुपये का बजट जारी किया है। विक्रांत का कहना है कि एक पेड़ के लिए लगभग 2300 रुपये दिए गए हैं। यूपी में अभी तक इतना अधिक पैसा कहीं पर भी नहीं दिया गया है। उन्‍होंने प्राधिकरण अधिकारियों से कहा है कि इस मामले का भी संज्ञान लिया जाए।