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द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला का विषय सुत्तपिटक पालि में बौद्ध दर्शन का सामाजिक-नैतिक दृष्टिकोण था। उद्घाटन सत्र में प्रमुख वक्ता के रूप में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रोफेसर बिमलेन्द्र कुमार व विशिष्ट अतिथि प्रो.सी.उपेन्द्र राव (जेएनयू) ने पालि भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। जीबीयू के कुलसचिव डाक्टर विश्वास त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में पालि साहित्य में वर्णित बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे।
उपयोगिता को किया रेखांकित
भारतीय ज्ञान परंपरा में पालि साहित्य की प्रासंगिकता पर केंद्रित सत्र की अध्यक्षता बीएचयू के प्रो. बिमलेन्द्र कुमार ने की। जेएनयू के प्रो. सी. उपेन्द्र राव ने पालि साहित्य में निहित विद्या की अवधारणा पर चर्चा करते हुए गौतमबुद्ध की शिक्षाओं की वर्तमान समय में उपयोगिता को रेखांकित किया। बिमलेन्द्र कुमार ने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में पालि साहित्य में विद्यमान विद्याओं की जानकारी आवश्यक है। विशेष रूप से पाँच महाविद्याओं में अध्यात्म विद्या को विकसित करना आवश्यक है। प्रो. हरिशंकर प्रसाद ने नैतिकता आधारित जीवन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गौतमबुद्ध की शिक्षाएँ आधुनिक जीवन के नैतिक आचरण में सहायक सिद्ध हो सकती हैं। प्रो. एम. वी. राम रत्नम ने कहा कि समकालीन समस्याओं के समाधान हेतु बुद्ध की शिक्षाओं को केस स्टडी के रूप में अपनाया जा सकता है, विशेष रूप से सुत्तपिटक में वर्णित सिद्धांतों के आधार पर।