-न तो अपना नियम मान रहे न सरकार का
-जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया उन्‍हें जमीन देने में क्‍या है परेशानी


द न्‍यूज गली, ग्रेटर नोएडा: किसानों के मामले में यदि यह कहा जाए कि जिले के तीनों प्राधिकरण तानाशाह बने हुए हैं तो गलत न होगा। प्राधिकरण के नियम में लिखा होने, संसद में कानून पास होने व न्‍यायालय के द्वारा आदेश दिए जाने के बावजूद तीनों प्राधिकरण के द्वारा किसानों को उनके हक के रूप में 10 प्रतिशत का प्‍लाट नहीं दिया जा रहा। ऐसे में किसान संगठन बार-बार आंदोलन को विवश हो रहे हैं। खास बात है कि हमेशा किसानों का हमदर्द होने की बात करने वाले जनप्रतिनिधि भी किसानों को उनका हद दिलाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।


क्‍यों नहीं मान रहे कानून
देश भर में किसानों के लगातार होने वाले आंदोलन को देखते हुए 2013 में भूमि अधिग्रहण कानून बना था। जिसमें किसानों को उनका हक देने की बात कही गई थी। यह बिल संसद में पास भी हुआ था। यह भी कहा गया था कि जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जाए उन्‍हें प्‍लाट भी दिया जाए। ताकी वह परिवार का जीवन यापन कर सकें। कानून बनने के बाद किसानों में खुशी थी। लेकिन संसद में पास होने वाले कानून का पालन भी तीनों प्राधिकरण के द्वारा नहीं किया जा रहा है।


किसानों को न निवेशकों को हां
जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण प्राधिकरण के द्वारा किया गया उन्‍हें देने के लिए तो प्राधिकरण के पास जमीन का छोटा सा टुकड़ा नहीं है, लेकिन निवेशकों को देने के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन होने का दावा प्राधिकरण के द्वारा किया जाता है। अभी हाल में ही राष्‍ट्रीय व अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के कई निवेशकों को प्राधिकरण के द्वारा जमीनों का आवंटन भी किया गया है। साथ ही कई अन्‍य निवेशकों को भी जमीन देने की तैयारी है। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि अपनों यान‍ी जिन किसानों कि जमीन का प्राधिकरण ने अधिग्रहण किया उनके साथ तो जुल्‍म हो रहा है और निवेशकों के लिए प्राधिकरण दरियादिली दिखा रहा है।