द न्यूज गली, ग्रेटर नोएडा: स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने जीएसटी चोरी के एक बड़े अंतर्राज्यीय नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए पांच शातिरों को गिरफ्तार किया है। गिरोह फर्जी फर्में खड़ी कर नकली इनवाइस और ई-वे बिल के जरिये सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा रहा था। यह कार्रवाई एसटीएफ मुख्यालय लखनऊ के निर्देशन में नोएडा और गोरखपुर फील्ड इकाइयों की संयुक्त टीम ने की। एसटीएफ के अनुसार चार आरोपियों को रविवार को नोएडा स्थित एसटीएफ कार्यालय में पूछताछ के दौरान हिरासत में लिया गया, जबकि पांचवें आरोपी को बिहार के वैशाली जिले से गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए आरोपियों के तार उत्तर प्रदेश, बिहार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से जुड़े पाए गए हैं।
आरोपियों की पहचान
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सुल्तानपुर निवासी बिदेश्वर प्रसाद पाण्डेय (49), गोपालगंज (बिहार) निवासी बबलू कुमार (31) व प्रिंस पाण्डेय (29), छपरा (बिहार) निवासी दीपांशु शर्मा (24) और वैशाली (बिहार) निवासी जयकिशन (28) के रूप में हुई है। जयकिशन को छोड़ अन्य सभी आरोपी वर्तमान में गाजियाबाद में रह रहे थे।
फर्जीवाड़े का सामान बरामद
एसटीएफ ने आरोपियों के कब्जे से चार लैपटॉप, नौ मोबाइल फोन और 13,500 रुपये नकद बरामद किए हैं। सभी आरोपियों को संबंधित न्यायालयों में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आगे की कार्रवाई संबंधित जिलों की पुलिस द्वारा की जा रही है।
कोचिंग सेंटर से चलता था नेटवर्क
पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि गिरोह का सरगना बिदेश्वर प्रसाद पाण्डेय गाजियाबाद में ‘हिन्दुस्तान कोचिंग सेंटर’ के नाम से अकाउंटेंसी प्रशिक्षण संस्थान चला रहा था। यहां छात्रों को टैली, जीएसटी रिटर्न, इनवाइस और ई-वे बिल बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी। प्रशिक्षण के बाद कुछ छात्रों को फर्जी फर्में बनाकर नकली सेल्स इनवाइस जारी करने के धंधे में झोंक दिया गया। दीपांशु शर्मा और जयकिशन भी इसी कोचिंग से जुड़े थे, जिन्हें बाद में गिरोह में शामिल कर लिया गया।
ऐसे रचा जाता था जीएसटी चोरी का जाल
एसटीएफ के मुताबिक आरोपी फर्जी दस्तावेजों के सहारे बोगस फर्मों का पंजीकरण कराते थे। इसके बाद बिना किसी वास्तविक कारोबार के नकली सेल्स इनवाइस और ई-वे बिल बनाकर जीएसटी पोर्टल पर अपलोड किए जाते थे। वास्तविक कारोबारी एजेंटों के माध्यम से गिरोह से संपर्क कर अपने पक्ष में फर्जी इनवाइस कटवाते थे, जिससे उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ मिल जाता था। इन फर्जी लेन-देन को वास्तविक दिखाने के लिए बैंक खातों के जरिये रकम का आना-जाना दर्शाया जाता था। बाद में नकद या सर्कुलर ट्रेडिंग के माध्यम से हिसाब बराबर कर लिया जाता था।
50 से ज्यादा ई-मेल और बैंक लॉगिन का इस्तेमाल
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों के मोबाइल फोन में 50 से अधिक ई-मेल आईडी लॉगिन थीं। इन्हीं ई-मेल के जरिये फर्म पंजीकरण, जीएसटी रिटर्न फाइलिंग और बैंक लेन-देन के लिए ओटीपी हासिल किए जाते थे। आरोपियों के पास कई फर्मों के बैंक खातों की लॉगिन आईडी और पासवर्ड तक मौजूद थे। प्रारंभिक जांच में करोड़ों रुपये की राजस्व क्षति के संकेत मिले हैं।
जीएसटी विभाग की जांच में मिली सफलता
बोगस फर्मों को लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जीएसटी विभाग ने पहले ही मुकदमे दर्ज करा रखे थे। कानपुर नगर और बलरामपुर में चल रही विवेचना के दौरान विभाग ने एसटीएफ से तकनीकी सहयोग मांगा था। इसी समन्वय के तहत की गई कार्रवाई में इस बड़े रैकेट का खुलासा हो सका।
